फ़ॉलोअर

rajasthani culture

coming soon
राजस्थान की रियासतों के सिक्के 
कोटा रियासत के सिक्के -
  •  कोटा में  प्रारम्भ में गुप्त और हूणों के सिक्के चलते थे |
  •  अकबर के समय यहाँ पर मुग़ल सिक्के प्रचालन में आये | 
  •  कोटा में **हाली और मदन्साही** सिक्को का भी प्रचालन था | 
  •  कोटा राज्य में कोटा , गागरोन, तथा झालरापाटन में सिक्कों को ढलने की टकसाल थी |
  
  
जयपुर रियासत के सिक्के -  
  • यहाँ  झाड़साही सिक्के चलते थे | इनके ऊपर ६ टहनियों का झाड़ होता था |
  • माधोसिंह ने सोने के सिक्के चलाये उन्हें **हाली ** सिक्का कहते है | 
  •  मुगलों ने १७२८ इ . में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह को स्वतंत्र रूप से टकसाल बनाने की अनुमति प्रदान की थी |
  • १७४३ इ में यहाँ सवाई इश्वरी सिंह ने चाँदी के सिक्क  चलाये |
  • 1760  में जयपुर रियासत में ताम्बे के सिक्के का प्रचालन था इन सिक्कों पर **साहआलम** अंकित था | 
 
इतीहास के पन्नो से
इतीहास का अध्यन करने के लिए सबसे पहले पुरातन वस्तुओ जैसे सिक्के, शिलालेख , पांडुलिपिया, पुरातात्विक स्थल , प्राचीन नगर आदी का अद्धयन किया जाता है  ऐसे उपलब्द प्रमाणों और साक्ष्यो की सहायता से अतीत की घटनाओ का कृमिक रूप से अध्यन करना ही इतीहास है | 
इतीहास का अध्यन 
इतीहास का अध्यन करने के लिए साक्ष्यो व प्रमाणों को निम्न भागो में बांटा गया   है |
1- Newmismetics , - इसमें सिक्कों का अध्यन किया जाता है 
2- Paliography ,- इसमें लिपियो, पन्दुलिपिओन का अध्यन किया जाता है 
3- Palientology ,- इसमें जिवास्मो का अध्यन किया जाता है |
4- Apigraphy ,- इसमें उत्कीर्ण लेखो तथा खुदे हुए लेखों का अध्यन किया जाता है |
 सिक्कों का इतीहास -
भारत में सिक्को के आधार पर इतिहास लिखने का प्रयास डी डी कोसाम्भी और रेप्सन ने किया था | वैदिक कालीन सिक्कों में निष्क और सतमान नामक सिक्के का उल्लेख किया गया है |
लेकिन एह सिक्के अब तक उपलभध नहीं हो पाए है 
भारत में लगभग ६०० bc , के आसपास सिक्को का निर्माण प्राराम्ब हो गया था |  यह कार्य पंजाब क्षेत्र में शुरू हुआ था |
भारत में उपलब्ध प्राचीन सिक्को को पंचमार्क के नाम से जाना जाता है |

   चित्र - ४५० बी सी का पंचमार्क 
 यह सिक्के चाँदी अथवा ताम्बे के बने होते थे तथा इन पर नदी , पर्वत , जानवर मनुष्य आदी के चित्र उत्कीर्ण होते थे |
 

RAJASTHAN CULTURE AND HISTORY

राजस्थान की कला और संस्कृति
                                                                                                                                                                               राजस्थान का इतिहास लिखने में अनेको इतीहास करो ने सरह्निये कार्य किये है मुझे उनके किए गए कार्यो पर काफी गर्व है | आज हम जिस संस्कृति को देख रहे है वह हमारे इतीहास की ही देन है |
अनेको इतीहास कारो तथा लेखको ने राजस्थान के इतीहास को मात्र किताबो में ही लिखकर छोड़ दिया है, जबकि आज की अद्दयन की मांग के अनुसार राजस्थान के इतीहास को भी सुचना और प्रोधोगिकी सक हिस्सा होना चाहिये |
बहुत ही कम लोगो ने इस हेतु कार्य किया है |   राजस्थान के इतिहास को अनेक प्रतियोगी परीक्षाओ में उपयोग में लिया जाता है |  अबतक प्रतियोगी परीक्षाओ की द्रस्ठी से कोई विशेष कार्य इन्टरनेट पर राजस्थान के इतीहास को लेकर नहीं हुआ है |
राजस्थान के इतीहास को इस ब्लॉग द्वारा आप लोगो तक पहुँचाने का छोटा सा कार्य करने का प्रयत्न कर रहा हूँ |
आप का अपना

वीनोद भाना बापावर कलां
संपर्क - ९७८३४५९३५४

Downloads

Tags Cloud

Downloads

Change-0r-Edit-Me