इतीहास के पन्नो से
इतीहास का अध्यन करने के लिए सबसे पहले पुरातन वस्तुओ जैसे सिक्के, शिलालेख , पांडुलिपिया, पुरातात्विक स्थल , प्राचीन नगर आदी का अद्धयन किया जाता है ऐसे उपलब्द प्रमाणों और साक्ष्यो की सहायता से अतीत की घटनाओ का कृमिक रूप से अध्यन करना ही इतीहास है |
इतीहास का अध्यन
इतीहास का अध्यन करने के लिए साक्ष्यो व प्रमाणों को निम्न भागो में बांटा गया है |
1- Newmismetics , - इसमें सिक्कों का अध्यन किया जाता है
2- Paliography ,- इसमें लिपियो, पन्दुलिपिओन का अध्यन किया जाता है
3- Palientology ,- इसमें जिवास्मो का अध्यन किया जाता है |
4- Apigraphy ,- इसमें उत्कीर्ण लेखो तथा खुदे हुए लेखों का अध्यन किया जाता है |
सिक्कों का इतीहास -
भारत में सिक्को के आधार पर इतिहास लिखने का प्रयास डी डी कोसाम्भी और रेप्सन ने किया था | वैदिक कालीन सिक्कों में निष्क और सतमान नामक सिक्के का उल्लेख किया गया है |
लेकिन एह सिक्के अब तक उपलभध नहीं हो पाए है
भारत में लगभग ६०० bc , के आसपास सिक्को का निर्माण प्राराम्ब हो गया था | यह कार्य पंजाब क्षेत्र में शुरू हुआ था |
भारत में उपलब्ध प्राचीन सिक्को को पंचमार्क के नाम से जाना जाता है |
चित्र - ४५० बी सी का पंचमार्क
यह सिक्के चाँदी अथवा ताम्बे के बने होते थे तथा इन पर नदी , पर्वत , जानवर मनुष्य आदी के चित्र उत्कीर्ण होते थे |
इतीहास का अध्यन करने के लिए सबसे पहले पुरातन वस्तुओ जैसे सिक्के, शिलालेख , पांडुलिपिया, पुरातात्विक स्थल , प्राचीन नगर आदी का अद्धयन किया जाता है ऐसे उपलब्द प्रमाणों और साक्ष्यो की सहायता से अतीत की घटनाओ का कृमिक रूप से अध्यन करना ही इतीहास है |
इतीहास का अध्यन
इतीहास का अध्यन करने के लिए साक्ष्यो व प्रमाणों को निम्न भागो में बांटा गया है |
1- Newmismetics , - इसमें सिक्कों का अध्यन किया जाता है
2- Paliography ,- इसमें लिपियो, पन्दुलिपिओन का अध्यन किया जाता है
3- Palientology ,- इसमें जिवास्मो का अध्यन किया जाता है |
4- Apigraphy ,- इसमें उत्कीर्ण लेखो तथा खुदे हुए लेखों का अध्यन किया जाता है |
सिक्कों का इतीहास -
भारत में सिक्को के आधार पर इतिहास लिखने का प्रयास डी डी कोसाम्भी और रेप्सन ने किया था | वैदिक कालीन सिक्कों में निष्क और सतमान नामक सिक्के का उल्लेख किया गया है |
लेकिन एह सिक्के अब तक उपलभध नहीं हो पाए है
भारत में लगभग ६०० bc , के आसपास सिक्को का निर्माण प्राराम्ब हो गया था | यह कार्य पंजाब क्षेत्र में शुरू हुआ था |
भारत में उपलब्ध प्राचीन सिक्को को पंचमार्क के नाम से जाना जाता है |
चित्र - ४५० बी सी का पंचमार्क
यह सिक्के चाँदी अथवा ताम्बे के बने होते थे तथा इन पर नदी , पर्वत , जानवर मनुष्य आदी के चित्र उत्कीर्ण होते थे |